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रहस्यमाई चश्मा भाग - 49




मंगलम चौधरी सुयश एव सदानंद चौधरी एक साथ बघ्घी में एव पीछे पीछे करो का काफिला और लांगो का हुजूम पीछे सभी आपस मे एक ही चर्चा में व्यस्त थे मंगलम चौधरी साहब को किसी ने भी कभी इतना प्रसन्न नही देखा जितना आज दिख रहे थे सभी को इस बात का सुकून एव बेहद खुशी थी कि मंगलम चौधरी दुनियां भर के लोंगो के लिए जाती धर्म जाने बिना उनके सुख दुख खुशी में ऐसा सम्मीलित रहते है,,,,

 जैसे उनका स्वंय का ही पारिवारिक अंग हो और स्वंय के विषय मे कभी कुछ नही सोचते या सुनते उनके ऊपर बहुत से लोंगो ने विवाह करने के लिए दबाव बनाया एक से बढ़कर एक लड़कियों ने भी चाहा लेकिन चौधरी साहब तो सतयुग के इंसान थे उन्होंने कभी भी शुभा से प्यार के बाद दूसरे के विषय मे सोच तक नही सबके प्रयास निष्फल हुए लेकिन आज चौधरी साहब के आभा मंडल पर आश्चर्य जनक शांति एव अंतर्मन कि प्रशन्नता स्प्ष्ट परिलक्षित हो रही थी,,,,,

जैसे घनघोर अंधकार के बाद नए विश्वास के प्रभा प्रवाह के साथ सागर अंतर्मन से निकलते प्रभाकर कि आभा किरणों कि लालिमा ने मंगलम चौधरी के जीवन मे अकल्पनीय किंतु सत्य का सांचार कर दिया हो सरोवरों में पुष्प खिले नित्य कि भांति किंतु मंगलम चौधरी के लिए नए जीवन उत्सव उत्साह के साथ बाग में खिले फूलों पर भौरों के क्रंदन से एक अजीब अनुभूति हो रही थी जैसे हर भौंरा पुष्प से यही कह रहा हो सुन पुष्प मैं तो प्रतिदिन सम्पूर्ण निशा तेरे खिलने और आदित्य के उत्कर्ष कि प्रतीक्षा करता हूँ लेकिन आज तेरे खिलने कि खिलखिलाहट एव मुस्कुराहट से उस बागवा के अंतर्मन से मुस्कुराटो की शृंखला प्रस्फुटित होने लगी है जिसने जाने कितने बाग लगाए बसाए जाने कितने ही अरमानों आशाओं का बागवा था,,,,,

लेकिन स्वंय के अंतर्मन में आंधकार लिये उजाले कि प्रतीक्षा में घुट घुट कर जीता जा रहा था तो सुनो कायनात के सभी फूलों पुष्पों आज भौरों ने तुम्हे मुक्त किया तुम्हारा रसपान न करने का स्कल्प लिया सिर्फ इसलिये की आज तुम अपने रसों से मंगलम सुयश का अभिषेक करो अपनी कोमल पंखुड़ियों एव सुगन्ध से उनकी खशियो का अभिनंदन बन्दन करो इसी में तुम्हारे होने का अर्थ अस्तित्व है तुम्हारी भी अभिलाषा अभिमानित वर्तमान के इतिहास के अभिनंदन में ही निहित है तो तुम अपने अस्तित्व की डाली से टूट कर मंगलम चौधरीं के साम्राज्य के कण कण स्वर स्वर भाव भाव मे समाहित हो पल प्रहर का वंन्दन अभिनंदन का सत्य साक्ष्य बनो मंगलम चौधरी का काफिला हवेली की तरफ बढ़ता जा रहा था काफिले में सम्मिलित प्रत्येक व्यक्ति एव दरभंगा नगर का हर व्यक्ति मंगलम के शुख शांति को अपनी उपलब्धि मान कर परम शक्ति सत्ता ईश्वर के प्रति आभार कृतज्ञता व्यक्त कर रहा था कि मंगलम चौधरी जिसने अपने जीवन का एक एक पल धन संपत्ति सिर्फ जन सामान्य के कल्याण में लगा दिया,,,

 आद्योगिक साम्राज्य भी चौधरी के इसी उद्देश्य के निहितार्थ थे कम से कम ईश्वर ने उन्हें प्रसन्नता का अवसर तो दिया कारक कारण जो भी हो ।वास्तव में मंगलम चौधरी को जन समुदाय इंसान के रूप में ईश्वर का ही प्रतीक मानता था और उनके जीवन कि उदासी में खुशी के पलो के लिए ईश्वर का सदैव आशीर्वाद मांगता रहता सुयश के आने के बाद आम खास सभी जनसमुदायों ने यह अनुभूति की की मंगलम चौधरी के जीवन कि कमी पूरी हुई प्रतीत होती है काफिला चौधरी कि हवेली पहुंचा जहाँ स्वागत के बहुत से पारंपरिक एव आधुनिक सभी प्रकार कि व्यवस्थाओं को किया गया था सुयश मंगलम कि आरती फिर मैथिल परंपरा से स्वागत एव स्थानीय लोकगीतों गायकों द्वारा अभिव्यक्ति आदि आदि आयोजन सिलसिलेवार शुरू हुए चलते रहे जाने कब संध्या ने दस्तक दिया और मंगलम चौधरी सदानंद एव सुयश कुल देवता के मंदिर गए वहां विधि विधान से पूजन अर्चन करने के बाद वापस लौट कर आए,,,,,

हवेली ऐसे जगमगा रही थी जैसे इंद्र का महल संध्या ढलती गयी गहरी निशा ने अपने आगोश को फैलाया उत्सव के कार्यक्रम जो जारी थे उसका सिलसिला जारी था सुयश के आगमन के शुभवसर पर श्यामाचरण झा जी शुभा कन्या माध्यमिक विद्यालय निर्माण समिति के सभी सदस्य पुजारी तीरथ राज एव मंदिर निर्माण समिति के सभी सदस्यों को साथ लेकर आये थे लगभग सम्पूर्ण दरभंगा जनपद नगर गांव के लोंगो को बुलाया आयोजित समारोह में सार्वजनिक रूप से घोषित करके बुलाया गया था,,,,,,



आने वाले प्रत्येक व्यक्ति को उचित सम्मान एव उपहार भोजन आदि कि सर्वोत्तम व्यवस्था थी लगभग पूरी रात उत्सव चलता रहा उसके बाद पूरे सप्ताह बिभिन्न कार्यक्रम आयोजित किये गए मंगलम चौधरी के समारोह में सम्मिलित हर व्यक्ति के मन मे एक ही प्रश्न था आखिर उतने बड़े पैमाने पर मंगलम चौधरी जी का उत्सव आयोजन का क्या तात्पर्य है ?

लेकिन सभी मन से मंगलम चौधरी के खशियो में शरीक होना अपना गर्व समझ रहा था नत्थु गांव में जबसे शुभा कन्या माध्यमिक विद्यालय एव मंदिर पुनर्निर्माण का कार्य चल रहा था तब से वह बैचैन रहता और निर्माण कार्य मे बाधा डालने कि कोशिश करता रहता कभी दलित समाज को मोहरा बनाता कभी धर्म के नाम पर समाज को बांटता और मुस्लिम समाज को बरगलाने का प्रयास करता लेकिन उसकी हर चाल उसके लिए उल्टी पड़ती और वह अपने ही बुने जाल में एक के बाद एक करके फंसता और उलझता जाता जब उसे उसके विश्वस्तों ने बताया कि शुभा माध्यमिक विद्यालय निर्माण समिति एव गांव के पुनर्निर्माण समिति के सदस्य जिसमे आधा गांव सम्मिलित है मंगलम द्वारा सुयश के आगमन की खुशी में आयोजित उत्सव में सम्मिलित होने जा रहा है,,,,





जारी है






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